(लिखने को जिसने मजबूर किया वो है प्रियदर्शन की एक कविता....)
मुंबई की निकिता को अपने पहले बच्चे की मां बनना ही होगा...। बॉम्बे हाईकोर्ट ने निकिता को 24 हफ्ते के भ्रूण का गर्भपात कराने की इजाजत आखिरकार नहीं दी। अदालत के फैसले के मुताबिक अगर निकिता के गर्भ में पलने वाला भ्रूण पूर्ण रूप से विकसित होता रहा तो निकिता को उसे जन्म देना ही होगा।
निकिता और हरेश मेहता ने प्रेम विवाह किया, कुछ समय बाद प्रेम की कोपल ने निकिता के गर्भ में अपना ठौर बना लिया। निकिता अब अपने पहले बच्चे की मां बनने वाली है...लेकिन मेडिकल चेकअप के दौरान उन्हें पता चला कि गर्भ में पल रहे बच्चे के दिल में छेद है। निकिता के मुताबिक डॉक्टरों ने उन्हें ये भी बताया कि होने वाला बच्चा अपाहिज भी हो सकता है। इसे देखते हुए निकिता अपने पहले बच्चे को अब जन्म नहीं देना चाहती हैं। लेकिन उहापोह में ज्यादा वक्त बीत जाने से निकिता को गर्भपात के लिए कानूनी इजाजत की नौबत आ पड़ी।
गर्भपात की इजाजत के लिए निकिता को बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी देनी पड़ी। वजह ये थी कि देश का 37 साल पुराना कानून 20 हफ्ते से ज्यादा बड़े भ्रूण को गर्भपात की इजाजत नहीं देता...जब तक कि उससे मां के स्वास्थ्य को खतरा न हो।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने निकिता के द्वारा अदालत में प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को अपर्याप्त माना, साथ ही अदालत ने अतिरिक्त पुष्ट राय के लिए जेजे अस्पताल के डॉक्टरों की विशेष टीम को जांच का जिम्मा सौंपा। टीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चे के जन्म लेने के बाद आने वाली दुश्वारियों का अभी महज कयास ही लगाया जा सकता है, पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इस रिपोर्ट के बाद अब अदालत ने निकिता की गर्भपात कराने की मांग को खारिज कर दिया है।
संदेह के साए में निकिता के गर्भ में पलने वाला ये बच्चा क्या ख्यालों में बुनी एक मां की कोमलता महसूस कर सकेगा ? क्या निकिता पैदा होने वाले अपने पहले बच्चे के प्रति अभी भी उसी तरह की कोमल भावनाएं रख सकेगी ? बच्चे के जन्म के बाद किसी बड़े इलाज की नौबत आने पर हरेश और निकिता खर्च उठाने में सक्षम होंगे ? अगर नहीं तो क्या उन्हें तिल-तिल कर घुटना होगा ?
और अंत में इन सब सवालों से बड़ा एक सवाल कि जन्म के बाद बड़ा होने पर मां-बाप के बारे में बच्चा क्या सोचेगा ? अपनी मां के बारे क्या उसकी सोच प्रियदर्शन की कविता “इतिहास में पन्नाधाय ” जैसी होगी ?
निकिता और हरेश मेहता ने प्रेम विवाह किया, कुछ समय बाद प्रेम की कोपल ने निकिता के गर्भ में अपना ठौर बना लिया। निकिता अब अपने पहले बच्चे की मां बनने वाली है...लेकिन मेडिकल चेकअप के दौरान उन्हें पता चला कि गर्भ में पल रहे बच्चे के दिल में छेद है। निकिता के मुताबिक डॉक्टरों ने उन्हें ये भी बताया कि होने वाला बच्चा अपाहिज भी हो सकता है। इसे देखते हुए निकिता अपने पहले बच्चे को अब जन्म नहीं देना चाहती हैं। लेकिन उहापोह में ज्यादा वक्त बीत जाने से निकिता को गर्भपात के लिए कानूनी इजाजत की नौबत आ पड़ी।
गर्भपात की इजाजत के लिए निकिता को बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी देनी पड़ी। वजह ये थी कि देश का 37 साल पुराना कानून 20 हफ्ते से ज्यादा बड़े भ्रूण को गर्भपात की इजाजत नहीं देता...जब तक कि उससे मां के स्वास्थ्य को खतरा न हो।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने निकिता के द्वारा अदालत में प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को अपर्याप्त माना, साथ ही अदालत ने अतिरिक्त पुष्ट राय के लिए जेजे अस्पताल के डॉक्टरों की विशेष टीम को जांच का जिम्मा सौंपा। टीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चे के जन्म लेने के बाद आने वाली दुश्वारियों का अभी महज कयास ही लगाया जा सकता है, पुख्ता तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इस रिपोर्ट के बाद अब अदालत ने निकिता की गर्भपात कराने की मांग को खारिज कर दिया है।
संदेह के साए में निकिता के गर्भ में पलने वाला ये बच्चा क्या ख्यालों में बुनी एक मां की कोमलता महसूस कर सकेगा ? क्या निकिता पैदा होने वाले अपने पहले बच्चे के प्रति अभी भी उसी तरह की कोमल भावनाएं रख सकेगी ? बच्चे के जन्म के बाद किसी बड़े इलाज की नौबत आने पर हरेश और निकिता खर्च उठाने में सक्षम होंगे ? अगर नहीं तो क्या उन्हें तिल-तिल कर घुटना होगा ?
और अंत में इन सब सवालों से बड़ा एक सवाल कि जन्म के बाद बड़ा होने पर मां-बाप के बारे में बच्चा क्या सोचेगा ? अपनी मां के बारे क्या उसकी सोच प्रियदर्शन की कविता “इतिहास में पन्नाधाय ” जैसी होगी ?
9 comments:
हाई कोर्ट के इस फैसले से मुझे इत्तेफाक नही है ...कभी न कभी आपको ब्रेव डिसीजन लेने पड़ेगे....
अदालत तो खैर कानून के हिसाब से जाएगी पर मानवीय दृष्टि से ये मसला बड़ा पेचीदा है।
बिना बोल्ड डिसीजन के ये फैसला नहीं किया जा सकता। आज नहीं तो कल शुरूआत तो करनी ही होगी। मरसी डैथ के पैमाने अलग है तो साथ ही इसके भी अलग। लेकिन बदलाव के विषय में सोचो तो दिमाग की धज्जियां उड़ने लगती हैं। २५ वीक के बाद आप अबोर्ट नहीं करवा सकते। सचा दिमागी तौर पर ये मसला बड़ा ही पेचीदा है।
कभी कभी जिन्दगी में ऐसे फेसले भी लेने होते हैं.
संदीप - यह मसला बहुत पेचीदा/ महसूस किया है - इस पर फ़िर कभी - हाँ प्रियदर्शन की कवितायेँ बहुत ही अच्छी हैं - पहले क्यों नहीं बताए ? - सस्नेह - मनीष
सर, हर रोज एक नया आइटम अपने ब्लाग पर डालिए। जहा हर घंटे खबर बदल रही है तो वही ये कहानी कई दिनो से पढ रहा हूं.......
सर आपके अगले आइटम का इंतजार है.....देखते हैं ये इंतजार कब खत्म होता है...
एक नयी ख़बर जल्द हो जाये।हमें इंतेज़ार है।
Post a Comment