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सांझ-सवेरे
Monday, 18 February 2008
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सीनेटहॉल का एक और द्वार...
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Sandeep Singh
Baharaich, Uttar Pradesh, India
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संधिबेला मुझे मोहित करती है। सांझ भी और सुबह भी। यह संधिबेला रचनात्मकता की बेला होती है और मैं इसी रचनात्मकता को शब्द देना चाहता हूं। फिलहाल रोजीरोटी के लिए आजतक न्यूज चैनल में नौकरी कर रहा हूं।
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